दृष्टिकोण
1. राज्य में खेलों का संवर्द्धन खेलों से जुड़े सभी घटकों यथा राज्य सरकार के विभिन्न विभाग, संस्थायें, शैक्षिक संस्थान, पंचायत, खेल संघ एवं खिलाड़ी के समन्वित प्रयासों से प्राप्त किया जायेगा।
2. खेलों के उन्नयन हेतु अधोगामी तकनीकी का प्रयोग किया जायेगा। इसके अर्न्तगत स्थानीय खेल सुविधाओं के संवर्धन के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर आवश्यकता-आधारित विकास दृष्टिकोण अपनाने पर विशेष बल दिया जायेगा।
3. खेल विभाग, खेल सुविधाओं एवं अवसंरचनाओं की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ उन्हें जनसामान्य, खिलाड़ियों, महिलाओं, वेटरन एवं दिव्यांग खिलाड़ियों की सुलभ पहुँच हेतु आवश्यक कार्य करेगा।
4. खेल विभाग अपनी विभिन्न इकाइयों, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों एवं खेल संघों के माध्यम से बाल्यकाल से ही खेल प्रतिभाओं को पहचानने का कार्य करेगा एवं प्रतिभा के सादृश्य खेल हेतु उन्हें प्राथमिक एवं द्वितीयक प्रशिक्षण उनकें गृह क्षेत्र में एवं तृतीयक प्रशिक्षण उच्च स्तरीय चयनित प्रशिक्षण केन्द्रों में उपलब्ध करायेगा।
5. सरकार खेलों को व्यावहारिक रोजगारपरक और अधिक आकर्षक अर्थक्षम बनाने हेतु एकीकृत व्यवस्था विकसित करेगी जिसमें खेल विकास की योजनाओं, उनकी पूर्ण परिभाषित संरचना के विश्वसनीय कार्यक्रम का समावेश किया जायेगा। इस हेतु खेल विभाग लक्ष्य मूलक एवं समयबद्ध कार्य योजना तैयार करेगा।
6. खेल विभाग द्वारा भारत सरकार के खेल मंत्रालय एवं भारतीय ओलम्पिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त खेलों को इस खेल नीति एवं खेल विभाग अर्न्तगत संचालित विभिन्न खेल योजनाओं के अर्न्तगत प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त राज्य के परम्परागत खेलों को प्रोत्साहित करने हेतु भी खेल विभाग अर्न्तगत योजना संचालित की जायेगी।
7. खेल विधाओं को प्रचलन के आधार पर तीन श्रेणीयों में परिभाषित किया जायेगा।
(क) कोर खेल विधायें-ओलंम्पिक, एशियन खेल, राष्ट्रमण्डल खेल में खेले जानी वाली खेल विधाओं एवं भारतीय ओलम्पिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त खेलों से सम्बन्धित खेल विधायंेे।
(ख) गैर कोर खेल विधायें- भारत सरकार खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त खेल (भारतीय ओलम्पिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त को छोड़कर)।
(ग) परम्परागत खेल - राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर चिन्हित् परम्परागत खेल।
8. खेल विभाग योजना एवं कार्यक्रमों को अगले 5-10-15 वर्षो हेतु ऐसे परिणाममूलक संकेतांको को परिभाषित करेगा जो खेल विशेष आधारित होंगे जिनमें अगले 5-10-15 वर्ष में उन खेलों में विशिष्ट स्थान प्राप्त करने हेतु संकेतांको को परिभाषित किया जाएगा।
9. ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न खेलों की ग्राम से राज्य स्तर तक के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रतिस्पर्धात्मक प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग की सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी जिससे प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी खेल संस्कृति का विकास हो सके एवं युवा ऊर्जा को सकारात्मक दिशा मिल सके।
10. राज्य में स्थान विशेष (भौगोलिक एवं खेल की लोकप्रियता) के आधार पर विभिन्न स्थानांे पर, सम्बन्धित खेल को स्थानीय स्तर पर प्रश्रय दिया जाएगा एवं उस क्षेत्र को खेल विशेष के ’हब’ के रूप में विकसित किया जाएगा।
11. खेल विभाग से इतर अन्य विभागों यथा युवा कल्याण, पंचायत, शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं पुलिस आदि में उपलब्ध खेल अवस्थापनाओं को उच्चीकृत करते हुए उनके जनसामान्य एवं खिलाड़ियों द्वारा अनुकूलतम उपयोग किए जाने हेतु प्रयास किया जायेगा।
12. खेलों को प्रोत्साहित करने एवं खिलाड़ियों के मनोबल को और अधिक सुदृण करने हेतु खिलाड़ियों को उनके विभिन्न स्तर की उपलब्धियों के आधार पर उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा।
13. राज्य में खेल पर्यटन की अपार सम्भावनायें हैं इस हेतु चयनित स्थलों को खेल पर्यटन अनुरूप विकसित किया जाएगा।
14. विगत कुछ वर्षाें में खेलों में वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग बढ़ा है अतः राज्य के खिलाड़ियों को खेल विज्ञान एवं उससे जुड़ी हुई तकनीकों की जानकारी हेतु ’खेल विज्ञान केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी जिसमें खेलों के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक एंव चिकित्सकीय पहलुओं पर प्रशिक्षण के साथ-साथ शोधकार्य भी किया जाएगा।
15. खेल क्षेत्र में रोजगार की बढती संम्भावनाओं के दृष्टिगत इस क्षेत्र में वर्तमान में प्रचलित विभिन्न कार्य यथा खेल पत्रकारिता, खेल फोटोग्राफी, कमन्ट्रेटर, खेल प्रबंधन, एवं खेल सामग्रियों से जुड़े विनिर्माण आदि से जुड़े क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
Hit Counter 0000816181Since: 01-02-2011