खेलों एवं शारीरिक शिक्षा को शैक्षिक पाठ्यक्रम के साथ मिलाने तथा इसे सेकेण्डरी स्कूल तक शिक्षा का अनिवार्य विषय बनाने और इसे छात्र की मूल्यांकन पद्वति में सम्मिलित करने के प्रश्न पर राष्ट्रीय खेल नीति-2001 के अनुरूप सक्रिय रूप से कार्यवाही की जायेगी। देश में स्थित सभी स्कूलों में खेल मैदानों /उपस्करो सहित अवस्थापना की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी करने हेतु कदम उठाये जायेंगे तथा अन्य बातों के साथ-साथ, इन खेल विधाओं में चुनिन्दा अध्यापकों के प्रशिक्षण के माध्यम से, शैक्षिक संस्थाओं में शारीरिक शिक्षा में अध्यापक कराने हेतु कार्यवाही की जायेगी। विशेषज्ञता प्राप्त खेल स्कूल भी स्थापित किये जायेंगंे। शिक्षा के क्षेत्र में खेलों के विकास एवं प्रोत्साहन की अपार संभावनाएं हैं । शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राज्य के सभी जनपदों में काफी संख्या में विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों मे ंजनपद के अधिकांश बालक/बालिकाएं नियमित शिक्षा ग्रहण करने हेतु आते हैं। राष्ट्रीय खेल नीति-2001 में भी खेल एवं शारीरिक शिक्षा को शैक्षिक कार्यक्रम के साथ एकीकृत किये जाने का उल्लेख किया गया है। विद्यालयों में राष्ट्रीय शारीरिक स्वस्थता (फिटनेस) कार्यक्रम को लागू करने के साथ ही इसका मूल्यांकन भी किया जाये। इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से विश्वविद्यालय, महाविद्यालय एवं अन्य उच्च शैक्षिक संस्थाओं में खेल कार्यक्रमों को नियमित संचालित करने हेतु कार्यवाही की जायेगी। इस योजना से विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के छात्र भी लाभान्वित होंगे। इन खेल कार्यक्रमों को लागू करने हेतु शिक्षा विभाग द्वारा निम्न बिन्दुओं पर कार्यवाही अपेक्षित होगीः-
1. ‘‘खेल एवं शारीरिक शिक्षा’’ प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक शैक्षिक कार्यक्रम के साथ अनिवार्य विषय के रूप में लागू करना ।
2. अवस्थापना सुविधाओं का विकास शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित उच्चतर माध्यमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या राज्य के समस्त 13 जनपदों में 95 विकासखण्डों में वर्तमान में 2707 है। इनके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में भी लगभग इतने ही विद्यालय कार्यरत हैं। वर्तमान में खेल अवस्थपना सुविधाओं का विकास एवं सुदृढ़ीकरण नगरीय क्षेत्र में खेल विभाग एवं ग्रामीण क्षेत्र में युवा कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है, जनपद, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ खेल मैदानों के विकास से सभी बालक/बालिकाओं हेतु पर्याप्त खेल सुविधाएं उपलबध नहीं हो पा रही हैं। यदि सभी विद्यालयों को जिनके पास भूमि उपलब्ध है, मिनी स्टेडियम उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। यदि सभी विद्यालयों को जिनके पास भूमि उपलब्ध है, मिनी स्टेडियम का स्वरूप दिया जाये, तो खेल सुविधाओं की उपलब्धता के साथ बालक/बालिकाओं हेतु नियमित खेल अभ्यास का सुअवसर प्राप्त हो सकेगा। इस हेतु शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण विभाग मे ंसमन्वय एवं एकजुटता के साथ लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रयास की आवश्यकता हैं प्रत्येक विद्यालय में खेल मैदानों के सृजन एवं सुदृढ़ीकरण से खेल कार्यक्रमों जैसे - नियमित खेलों का अभ्यास कराने हेतु प्रशिक्षकों/व्यायाम शिक्षकों की तैनाती की जानी आवश्यक होगी। जब तक प्रशिक्षकों/व्यायाम शिक्षकों के पदों का सृजन एवं नियुक्तियाॅ नहीं हो जाती है तब तक विद्यालय मे कार्यरत स्वस्थ एवं खेल प्रेमी शिक्षकों को खेल विभाग के माध्यम से प्रारम्भिक खेल प्रशिक्षण प्रदान कर इनकी सेवाएं खेल प्रभारी के रूप में जी जा सकती है। इस अतिरिक्त कार्य हेतु इन शिक्षकों को मानदेय दिये जाने की भी व्यवस्था शिक्षा विभाग द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से महाविद्यालयों एवं अन्य उच्च शैक्षिक संस्थाओं में खेल कार्यक्रमों को नियमित संचालित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जायें। इस योजना से विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के छात्र एवं छात्राऐं भी लाभान्वित होंगें। इन खेल कार्यक्रमों पर प्रभावी नियन्त्रण हेतु शिक्षा विभाग द्वारा निम्न बिन्दुओं पर कार्यवाही अपेक्षित हैः-
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